आई नोट , भाग 24
अध्याय-4
इंटरनल हैप्पीनेस
भाग-3
★★★
आशीष ने हल्की गहरी सांस ली और अपने सामने बैठे स्टीफन को कहा “अच्छा जो भी बातें होंगी हम वो बाद में डिस्कस करते हैं। अभी मुझे इंटरव्यू वाला काम संभालना है। श्रेया चली गई है तो उसकी जगह लेने के लिए कोई और भी तो चाहिए।”
आशीष कहते कहते अपनी जगह से खड़ा हो गया। उसके खड़े होते ही स्टीफन ने उससे कहा “हां जरूर बेशक ढूंढो, मगर ऐसे ही अच्छे बनकर करना जो भी करना।”
इसके बाद वह भी अपनी जगह से खड़ा हुआ और वहां से चला गया। आशीष लिफ्ट में आया और नीचे वाली मजिल में जाने लगा। लिफ्ट में खड़े खड़े उसने अपने मन में कहा “जिंदगी में चाहे कुछ भी क्यों ना कर लो, यह तो ऐसे ही चलती रहेगी, कभी खुशी, तो कभी गम।” तभी वह ऊपर की तरफ देखने लगा “मैं यह फिर से सोचने वाला काम क्यों कर रहा हूं। मुझे अपने दिमाग को शांत रखना है।” उसने गहरी सांस ली और उसे बाहर की तरफ छोड़ा।
जल्दी ही लिफ्ट का दरवाजा खुला और वह सामने के एक कमरे की तरफ चल पड़ा। कमरे में जाकर वो वहां मौजूद कुर्सी पर जाकर बैठा और बाहर फोन कर इंटरव्यू देने वाले लोगों को आने के लिए कहा।
तक़रीबन 2 मिनट गुजरते ही कोई 29 साल की लड़की आई और आशीष के सामने रखी कुर्सी पर बैठ गई। उसने अपनी सीवी आशीष की तरफ बढ़ा दी। आशीष ने सीवी खोली और उसे गौर से पढ़ा। सीवी में एक के बाद एक अच्छी चीजें लिखी हुई थी।
सीवी पढ़ने के बाद आशीष ने अपने सामने मौजूद औरत से कहा “तो मिस शालिनी जी, आपने लिखा है कि आपको 5 साल का एक्सपीरियंस है, इससे पहले आपने एक प्राइवेट टेक्सटाइल की कंपनी में फैशन डिजाइनर की जॉब की थी। तो क्या मैं जान सकता हूं वहां जॉब छोड़ने की क्या वजह रही थी?”
“एक्चुअली मुझे वहां का काम पसंद नहीं आया था।” सामने की औरत ने जवाब देते हुए कहा “वह लोग नए ऑडियस को महत्व नहीं देते थे। इसलिए मुझे वह कंपनी छोड़नी पड़ी।”
आशीष ने यह सुनकर गहरी सांस ली और उसे जाने के लिए कह दिया। “जी शुक्रिया, शाम तक हम आपको हमारा रिस्पांस बता देंगे।”
औरत ने यह सुना और उठकर चली गई। उसके जाने के बाद कुछ और लड़कियां आई जिनका इंटरव्यू चलता रहा। तकरीबन 1 घंटे तक आशीष 20 से 30 लड़कियों के इंटरव्यू ले चुका था। उसने फोन किया और फोन पर रिसेप्शन गर्ल को कहा “नेक्स्ट...”
इतना कहकर उसने फोन रखा और इंतजार करने लगा। उसके दोनों हाथ की कोहनीया कुर्सी के हैंडल पर थी। हाथ ठोड़ी पर थे और वह कुर्सी पर आगे पीछे डोल रहा था। तभी दरवाज़ा खुला और उसके ठीक सामने हल्के नीले रंग के टॉप और जींस पैंट पहनी लड़की आई। उसे देखते ही आशीष पुरी तरह से मंत्र मुग्ध हो गया। उसकी सांसे जहां थी वहीं रुक गई। दिल की धड़कन को वह बड़े ही आराम से सुनने लगा। यहां तक कि वह अपनी सांसो को भी शरीर के अंदर अलग-अलग जगहों से गुजरता हुआ महसूस कर रहा था। सब कुछ उसके लिए थम सा गया था। उसने अपने मन में कहा “लक्ष्य और मकसद... अगर एक लक्ष्य और मकसद सफल नहीं हो पाता तो दूसरा आ जाता है। यह जिंदगी, यह जिंदगी ऐसे ही चलती है।” आशीष को अपने आसपास की चीजें काफी धीमी गति में जाती हुई लग रही थी।
मानवी ने अपनी सीवी आगे की और आशीष के ठीक सामने मौजूद कुर्सी पर बैठ गई। आशीष ने सीवी उठाई और उसे पढ़ा। सीवी पढ़ते-पढ़ते उसने खोए हुए अंदाज में मानवी से पूछा “आप लक्ष्य और मकसद के बारे में क्या सोचती हैं?”
“जी...” मानवी ने हैरत जताई।
आशीष ने तुरंत मानवी की तरफ देखा और देखते हुए आंखें तरेरी “लक्ष्य और मकसद, आपको क्या लगता है एक इंसान को इसे हासिल करने के लिए क्या करना चाहिए? लक्ष्य और मकसद यानी कि गोल?” इस दौरान उसका अंदाज दिलचस्प था। बिल्कुल एक अमीर बिजनेसमैन की तरह।
“वही जो करना जायज है...” मानवी ने जवाब दिया। “हमें उसे हासिल करने के लिए अपना बेस्ट देना चाहिए।”
आशीष मुस्कुराया। उसने अपने मन में कहा “हमारी सोच कितनी मिलती है। लक्ष्य और मकसद को हासिल करने के लिए हमें हमारा बेस्ट देना चाहिए।” फिर उसने मानवी से पूछा “अगर हमें कोई लक्ष्य और मकसद ना हासिल हो तो?”
मानवी ने कुछ सोचा और सोचने के बाद जवाब दिया “तो हमें दोबारा कोशिश करनी चाहिए।”
आशीष अपने मन में बोला “बिल्कुल।” तभी उसने सीवी में मैरिज डिटेल देखी। वहां मैरिड लिखा हुआ था। यह देखते ही आशीष ने अपनी आंखें बंद कर ली। उसके आसपास की चीजें नॉर्मल हो गई थी। आंखें बंद करते हुए उसने मानवी से पूछा “आप शादीशुदा हैं?”
“जी” मानवी ने जवाब दिया “हमारी शादी को 3 साल हो चुके हैं।”
“सुनकर अफसोस हुआ...” आशीष ने कहा और सीवी सामने की तरफ रख दी।
मानवी ने सीवी की तरफ हाथ बढ़ाया और थोड़ी हिचकिचाहट के साथ बोली “मैं कुछ समझी नहीं... शादी ....अफसोस”
“वो हमें ... हमें इस जॉब के लिए अनमैरिड कैंडिडेट चाहिए था।” आशीष ने जवाब दिया। उसके चेहरे पर अजीब भाव आ रहे थे मगर वह उसे सामान्य करने की कोशिश कर रहा था।
“ओह... मैं माफी चाहती हूं। शायद मैंने एडवर्टाइजमेंट देखते वक्त इस पर ध्यान नहीं दिया।” वह अपनी जगह से खड़ी हुई और जाने के लिए मुड़ी।
उसके जाते ही आशीष कुर्सी पर आगे पीछे होने लगा और अपने मन में कहा “यह नजाकत, यह तरीका, यह बोलना, मैंने कुछ देर के लिए अपने विचारों को शांत क्या रखा मैं भूल ही गया आखिर मैं हूं कौन। मैं समझ ही नहीं पाया कि मुझे किसी की तारीफ में क्या कहना है। तुम मुझे पसंद आ गई मगर इसके बावजूद मैं अपने विचारों को अपने दिमाग में भी नहीं लेकर आ पाया। क्या यह मेरी बदली हुई जिंदगी का दस्तूर था, या तुम्हारा जादू, मैं इसे किसका नाम दूं। क्या मुझे दोबारा अपने लक्ष्य और मकसद को हासिल करने के लिए तुम्हें एक प्रेरणा के तौर पर देखना चाहिए। क्या मुझे अपने जिंदगी के तमाम दुख दर्द को भूलाकर तुम्हारे लिए वह करना चाहिए जो कोई नहीं करता। तुम भी शादीशुदा हो।”
वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और कमरे से बाहर आकर लिफ्ट की तरफ जाने लगा। “पता नहीं मुझे जब भी कोई पसंद आता है तो वह शादीशुदा क्यों निकलता है। इससे पहले जो भी आया उनकी भी शादी हो चुकी थी। पता नहीं दुनिया की अच्छी चीजों को पहले से ही कोई क्यों अपने पास रख लेता है। इस वजह से दो लोगों के मकसद एक होते हैं और फिर उनमें से किसी एक को वह मिलता है और एक को नहीं। मैंने तुम्हारा सीवी पढ़ा...”
वह लिफ्ट में गया और ऊपर जाने वाला बटन दबाया। “मगर इसके बावजूद मैंने तुम्हारे नाम पर ध्यान नहीं दिया... तुम्हारी सीवी की कॉपी हमारे ऑफिस में होगी.. तो वहां से तुम्हारे नाम और एड्रेस के बारे में पता चल जाएगा... मगर यह वह बात नहीं जिस पर बात की जानी चाहिए। बात यह है की यहां से आगे क्या करना चाहिए। मुझे अपनी जिंदगी... और तुम्हारी जिंदगी... दोनों में से किसी एक को अपना लक्ष्य और मकसद बनाना होगा।”
लिफ्ट का दरवाजा खुला और वह अपने ऑफिस रुम की ओर जाने लगा “मगर कहीं यह किसी तरह की जल्दबाजी तो नहीं होगी। जल्दबाजी करना इंसान को मिट्टी में मिला देता है। तुम्हारा इतनी जल्दी मेरी जिंदगी में आना, क्या यह एक तरह से सही कदम रहेगा। तुम मेरे शांत हो चुके विचारों को दोबारा से आग दे रही हो, वह आग जो सर्दी की रात में तपन देकर हमारी मुसीबतों को दूर करती है। शायद तुम्हारे आने के बाद मेरी जिंदगी में भी जिस बदलाव की जरूरत है, उसकी दस्तक हो जाए।”
ऑफिस में वह तुरंत अपने डेस्कटॉप की तरफ बढ़ा और उसे खोल कर सिस्टम से मानवी की सीवी निकाली। वहां उसने नाम पर ध्यान दिया और कहा “तो तुम्हारा नाम मानवी है। उम्र 26 साल। कॉमर्स में ग्रेजुएट हो। माता-पिता इस दुनिया में नहीं। शादी से पहले 1 साल फैशन डिजाइनर का काम किया। फिर शादी के बाद नौकरी नहीं की। नौकरी क्यों नहीं की? क्या तुम्हारे पति ने तुम्हें ऐसा करने नहीं दिया? हो सकता है। किसी की पत्नी इतनी सुंदर हो तो कौन सा पति चाहेगा वह बाहर जाए। फिर 3 साल बाद अचानक ऐसे कैसे मान गया? शायद इसका पता तुम्हारे पति से बात करने के बाद चलेगा। तुम इस शहर से नहीं थी, तुम्हारा शहर वेस्गोवा है जो यहां से 200 किलोमीटर दूर है। तुम्हारा पति तुम्हें इतनी दूर लेकर आया। हद है!” वह स्करोल करता गया और आखिर में जाकर रुक गया। वहां उसका एड्रेस लिखा हुआ था “तो तुम एक मिडिल क्लास लोगों के रहने वाली बिल्डिंग में रहती हो, तुम्हारी लाइफ यकीनन घिसी पिटी होगी, घर में ज्यादा सुख सुविधाएं नहीं होंगी, तुम्हें कोई महंगे तोहफे नहीं दे सकता, लग्जरी कार में नहीं घुमा सकता, मिडिल क्लास में हो तो तुम्हारा पति तुम्हें डिस्को में भी नहीं लेकर जा सकता, इतनी अच्छी होने के बाद तुम ऐसे लाइफ डिजर्व नहीं करती थी। तुम्हें अपने लिए एक बेहतर ऑप्शन चुनना चाहिए था। आखिर तुम्हें अपने पति में ऐसा क्या देखा जो तुमने उससे शादी कर ली? लगता है वक्त आ गया...”
आशीष ने डेस्कटॉप बंद किया और दोबारा ऑफिस से बाहर निकल आया। ऑफिस से बाहर निकलने के बाद वह लिफ्ट की तरफ बढ़ा और ग्राउंड फ्लोर की ओर जाने वाला बटन दबा दिया। “वक्त आ गया अपनी पहचान को बदल कर उस शख्स में बदल जाने का जो यह बताएगा आखिर तुम्हारी जिंदगी क्या है? किसी इंसान के बारे में जानना हो तो सबसे बेहतर तरीका यही है उसके बारे में पता लगाया जाए। मानवी, क्या तुम इसके लिए तैयार हो? क्या तुम यह बताने के लिए तैयार हो तुम्हारी जिंदगी में कब क्या होता है? क्या तुम मेरा लक्ष्य और मकसद बनने के लिए तैयार हो? मानवी.... क्या तुम मेरी जिंदगी में आना चाहती हो...”
लिफ्ट का दरवाजा खुला और वह ग्राउंड फ्लोर में पहुंच गया। ग्राउंड फ्लोर में उसने अपनी लग्जरी कार का रुख किया। उसमें गया और 5 मिनट के बाद बाहर आया। अंदर जाते वक्त वह कोट पेंट में था जबकि बाहर आते ही उसका रूप बदला हुआ था। उसने हुडडी वाली टिशर्ट पहन ली थी। हुडडी वाली टीशर्ट के साथ वह लग्जरी कार के पास खड़ी पुरानी खटारा कार में गया और उसे चलाते हुए अपने ऑफिस से बाहर चला गया।
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